Friday, February 27, 2015

ये और बात है

तेरी यादोँ के साये मुसलसल मेरे ज़हन पर छाये रहते हैँ..
ये और बात है कि तेरे ख़्वाबोँ से वाबस्ता मैँ नहीँ।
(आरती)

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