Monday, July 31, 2017

याद

जहाँ - जहाँ भी याद रखी है 
वहाँ - वहाँ जमा है एक बादल...पानी वाला 
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आरती

Tuesday, July 11, 2017

स्वप्नयात्रा

समय के परों पर तैरते 'तुम'
कुछ देर ठहरे थे मेरे पास
कुछ कहा था तुमने या शायद तुम्हारा 'चुप' ही बोला था :
"तुम्हारा कुछ न कहना, सब कहना है 
मेरा कुछ न सुनना, सब सुनना"
प्रेम है... यहीं है... दो 'मन' के बीच
अदृश्य में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराता...
प्रेम का मर्म शायद यही है
स्वप्न और यथार्थ से परे उस क्षण में
मैंने बंद पलकों से छुए थे तुम्हारे माथे के टाँके...
ब्राइल लिपि की तरह
ठीक उसी क्षण आरंभ हुई एक आंसू की स्वप्नयात्रा
जो भोर में बारिश हो गया था।
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आरती