Monday, March 16, 2015

रिक्तता

दो सांसोँ के बीच का ख़ालीपन..
तुम्हारे मेरे बीच
संवाद की रिक्तता है
जो अपने मौन मेँ भी शोर लिए हुए है
(आरती)

Sunday, March 15, 2015

सृजन से पहले प्रेम

अपने सृजन से पहले प्रेम
ईश्वर की गोद मेँ सोया हुआ था
आदम ने प्रार्थना भेजी मीठी लोरी की..
फ़िर ईश्वर ने सुनाई 
सृष्टि की पहली प्रेमकथा..
(आरती)

लम्स

आँख भरी है कब से
बूँदेँ आज़ाद करो ना..
नज़्म रुखी हो चली है
वो लम्स भेजो ना..
(आरती)

मन्नत

तुम 
मेरे लिए वो मन्नत हो
जिसे बाँधा नहीँ
माँगा नहीँ
बस
बहने दिया है
अपने भीतर
अनवरत...
(आरती)

वो आंसू...

आँख की कोर मेँ जो अटका है
उँगली की पोर पर जो रखा है
जमा है जो रुमाल की तहोँ मेँ लगीँ 
काजल की लकीरोँ के बीच..
क्या कभी पहुँचा हैँ
तुम्हारी पल्कोँ तक भी
वो आंसू...
(आरती)

ईश्वर ने सोचा

ईश्वर ने आँखेँ सोची
पुरुष बुना
ख़्वाब सोचे
स्त्री बुनी
प्रेम सोचा
आँख की हथेली को
ख़्वाब की हथेली थमाकर
प्रेम रखा..
(आरती)

नीला टुकड़ा

वो अपनी खिड़की से आकाश देखता है
मेरा नीला टुकड़ा
उसकी आँखेँ हैँ
-आरती

Wednesday, March 4, 2015

ओ रंगरेज़

दाँत से काटे हैँ मोह के धागे
पांव से छीली हैँ 
प्रेम की हथेली
ले जा तू अपने रंग सारे..
ओ रंगरेज़..
(आरती)

प्रेम - मीठी मुस्कान

प्रेम
ख़ारी आँखोँ मेँ तैरती 
मीठी मुस्कान है।
(आरती)

जिल्दसाज़

प्रेम, 
उसके पूछे महज़ दो लफ़्ज़ 'कैसी हो' 
मासूमियत से तह कर जिल्द चढ़ा कर रखना..
और जिल्दसाज़ हो जाना।
(आरती)

नीँद

नीँद,
रात के झरते पत्तोँ पर ठिठका..
मखमली ख़्वाब है।
(आरती)

भोर का स्वप्न

रात की पल्कोँ पर नीँद..
देर तक जागती रही थी
चाँद के डूब जाने तक
पर रात के खाके मेँ रखी
उसकी बेतरतीब बातेँ
नाकाफ़ी थीँ..
नाकाफ़ी एक उम्र के लिए
सदियोँ का फेरा था उनमेँ
जिसका सिरा खोजती रही थी मैँ
अब बस निशान रह गये हैँ बाकि
सुबह की हथेलियोँ पर...
(आरती)