मेरे जीवन में तुम्हारी उपस्थिति उसी तरह है
जैसे प्राण वायु का होना, पर न दिखना
इसलिए तुम्हारी अनुपस्थिति और उपस्थिति का एकसाथ होना
असाधारण नहीं है...
मेरे लिए प्रेम का बोध हो तुम
पर प्रेम की परिभाषा
आदि और अंत तय नहीं होते
और यही उसकी विशिष्टता भी है
तुम्हारा जन्म मेरे लिए
मेरे ईश का जन्म है
जिसके लिए आज मेरी आँखें ममत्व से भरी हैं
और शब्दकोष खाली...
कुछ न कहकर बस इतना ही कह सकूंगी
"जन्मदिन मुबारक तुम्हे!"
-------------
आरती
२९/१२/२०१५