Tuesday, January 12, 2016

मेरे जीवन का सारांश

मेरे जीवन में तुम्हारी रिक्तता
यही है मेरे लिए प्रेम का अर्थ
और मेरे जीवन का सारांश भी
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आरती

तुम्हारी प्रतीक्षा अपेक्षित है

जब तक स्वयं तुम्हे प्रेम का बोध न हो
तुम्हारी प्रतीक्षा अपेक्षित है...
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आरती

Wednesday, January 6, 2016

सुर्ख गुलाब तुम्हारी शक़्ल का

मैंने किसी लम्हे तुम्हे
ख़ुद से इतना दूर किया कि
फ़ासले की क़ुर्बत और बढ़ गयी
वो जो एक नन्ही सी बात
अटकी पड़ी थी कब से हलक में
तालु से ज़रा और चिपक गयी

खीसे में रखी थी ज़रा मोड़कर याद तुम्हारी
सोचा था गुज़र बसर हो जाएगी
जाने कब ज़रा और मुड़ तुड़ गयीं
अब बस कुछ सिलवटें है बाक़ी
और एक बोसा है किसी बीज सा
कि रह रह कर उग आता है मेरी हथेली पर
एक सुर्ख गुलाब तुम्हारी शक़्ल का...
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आरती

Monday, January 4, 2016

समय की भिंची मुट्ठियाँ

जब आप भरे होते हैं रिक्तता से
और खाली होती है समय की भिंची मुट्ठियाँ
तब उससे बंधी हुई आपकी आश्वस्ति गिरती है
उस बच्चे की आँख से गिरते आंसू की तरह
जिसके होंठ कसकर बंद हैं
इसलिए नहीं कि वो बोलना नहीं जानता
बल्कि इसलिए कि वो बोलना नहीं चाहता
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आरती

 

Sunday, January 3, 2016

जन्मदिन मुबारक तुम्हे

मेरे जीवन में तुम्हारी उपस्थिति उसी तरह है
जैसे प्राण वायु का होना, पर न दिखना
इसलिए तुम्हारी अनुपस्थिति और उपस्थिति का एकसाथ होना
असाधारण नहीं है...
मेरे लिए प्रेम का बोध हो तुम
पर प्रेम की परिभाषा
आदि और अंत तय नहीं होते
और यही उसकी विशिष्टता भी है
तुम्हारा जन्म मेरे लिए
मेरे ईश का जन्म है
जिसके लिए आज मेरी आँखें ममत्व से भरी हैं
और शब्दकोष खाली...
कुछ न कहकर बस इतना ही कह सकूंगी
"जन्मदिन मुबारक तुम्हे!"
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आरती
२९/१२/२०१५

वो जो मुझमेँ कुछ अधूरा है

वो जो मुझमेँ कुछ अधूरा है
क्या तुझमेँ वो मुकम्मल है
(आरती)