जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....
मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।
Monday, February 16, 2015
एक बात
बस..इतनी सी बात थी
एक बात पर ठहरी रही
एक बात...
(आरती)
1 comment:
संजय भास्कर
February 17, 2015 at 3:41 AM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
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बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
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