यादों के दरवाज़े पर फिर ख्यालों ने दी है दस्तक ..
मैंने हाथ बढ़ाया ..
खोल दिए सभी बंद दरवाज़े ..
एक मासूम सा ख़याल आकर बैठ गया मेरे पास ..
पूछा , कैसी हो तुम ?
कुछ न कह सकी मैं ..
मेरी ख़ामोशी में वो पढ़ गया था ..
सब बातें , जो थी अनकही ..
क्या चलोगी मेरे संग ?
देखोगी एक दुनिया नई ?
मैं हो गयी संग उसके
साथ लिए कई अरमान ,
कुछ अनछुए एहसास भी
तय करने एक नया सफ़र ..
एक अदृश्य ,अनदेखे जहाँ
की ओर ..
तभी कुछ खिंचता -सा हुआ महसूस ..
हकीक़त की बेड़ियों ने जकड लिए थे ..
पांव मेरे ..
~*~आरती ~*~
मैंने हाथ बढ़ाया ..
खोल दिए सभी बंद दरवाज़े ..
एक मासूम सा ख़याल आकर बैठ गया मेरे पास ..
पूछा , कैसी हो तुम ?
कुछ न कह सकी मैं ..
मेरी ख़ामोशी में वो पढ़ गया था ..
सब बातें , जो थी अनकही ..
क्या चलोगी मेरे संग ?
देखोगी एक दुनिया नई ?
मैं हो गयी संग उसके
साथ लिए कई अरमान ,
कुछ अनछुए एहसास भी
तय करने एक नया सफ़र ..
एक अदृश्य ,अनदेखे जहाँ
की ओर ..
तभी कुछ खिंचता -सा हुआ महसूस ..
हकीक़त की बेड़ियों ने जकड लिए थे ..
पांव मेरे ..
~*~आरती ~*~