Friday, November 2, 2012

Masoom Khayaal

यादों  के  दरवाज़े  पर  फिर  ख्यालों  ने  दी  है  दस्तक ..

मैंने  हाथ  बढ़ाया ..
खोल  दिए  सभी  बंद  दरवाज़े ..

एक  मासूम  सा  ख़याल  आकर  बैठ  गया  मेरे  पास ..

पूछा , कैसी  हो  तुम ?

कुछ  न  कह  सकी  मैं ..


मेरी  ख़ामोशी  में  वो पढ़  गया  था ..
सब  बातें , जो  थी  अनकही ..

क्या  चलोगी  मेरे  संग ?
देखोगी  एक  दुनिया  नई ?

मैं  हो  गयी  संग  उसके

साथ  लिए  कई  अरमान ,
कुछ  अनछुए  एहसास  भी

तय  करने  एक  नया  सफ़र ..
एक  अदृश्य ,अनदेखे  जहाँ
की  ओर ..

तभी  कुछ  खिंचता -सा  हुआ  महसूस ..

हकीक़त  की  बेड़ियों  ने  जकड  लिए  थे ..
पांव  मेरे ..

~*~आरती ~*~

Thursday, November 1, 2012

ग़लत ठहरा दो मुझे


एक उम्मीद बंधाई थी तुमने,
कहा था मेरे यकीन पर यकीन करो..

उस दिन सांझ भी ठहर गई थी,
तुम्हारे इंतज़ार में..

दरवाज़े पर दस्तक देती रही थी देर तक,
नाउम्मीदी की हवाएं..

पर मैंने भीतर न आने दिया,
कस कर बंद कर लिए थे किवाड़..

क्या तुम्हारा इंतज़ार ही मेरा काम है?
आज.. ग़लत ठहरा दो मुझे..

-(आरती)