कभी प्रेम में होकर देखो
कि जब हम प्रेम में होते हैं
तो सिर्फ प्रेम में नहीं होते
प्रेम को अपने तक रखने की पीड़ा
तब एक खोल की तरह मन को घेरे रहती है
डायरी के पन्नों की तरह आप भरे रहते हैं
और हलक कोरा जिल्द हो जाता है
तब आप ख़ाली हो जाना चाहते हैं
ज़ोर से चिल्लाना चाहते हैं
पर होंठ भींच लेते हैं कस कर
आँखें समंदर हो जाती हैं
और हँसी खारी…
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आरती
(१२/६/१४)
कि जब हम प्रेम में होते हैं
तो सिर्फ प्रेम में नहीं होते
प्रेम को अपने तक रखने की पीड़ा
तब एक खोल की तरह मन को घेरे रहती है
डायरी के पन्नों की तरह आप भरे रहते हैं
और हलक कोरा जिल्द हो जाता है
तब आप ख़ाली हो जाना चाहते हैं
ज़ोर से चिल्लाना चाहते हैं
पर होंठ भींच लेते हैं कस कर
आँखें समंदर हो जाती हैं
और हँसी खारी…
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आरती
(१२/६/१४)
Excellent blog ...Keep writing ...just stumbled upon ....Thanks ...
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