Wednesday, January 28, 2015

नीली चिड़िया






















प्रेम, 
उस नीली चिड़िया की तरह है 
जो पूरा आसमान पीकर 
ज़मीन का सिरा ढ़ूँढती रहती है। 
(आरती)

जब बहुत देर तक वो आवाज़ नहीं देता...

जब बहुत देर तक वो
आवाज़ नहीं देता...
उसके माथे पर टंकी लहर पर ठिठकी
उम्मीद की रोशनाई 
धीमी पड़ने लगती है
ढ़ाई आखर के खाखे में
घुटने लगती हैं
प्रेम की साँसें
इंतज़ार के पाँव में
बेतरह चुभने लगती है
समय की कीलें
आसमान के कैनवास पर
खाली रहती है चाँद की जगह
और तारे डूब जाना चाहतें हैं
मैं पानी पर लिखती हूँ…प्रेम
जो आँख की कोर से ढलक कर
ठहर जाता है मेरे
दायें गाल के तिल पर…………
----------------------
आरती

नाराज़गी

नाराज़गी, चुप्पी के हऴक मेँ अटका शोर है।
-आरती

सफर

सफर, मन के पाँव मेँ उभरे पहिए हैँ।
(आरती)

बारिश

बारिश देखना,
तुमसे बातेँ करने जैसा है..
तुम्हारी धुन पे अपने लफ़्ज़ बुनने जैसा है...
-आरती
..

Wednesday, January 7, 2015

मीठा भ्रम

पहाड़ की बेरूख़ी
नदी के लिए सज़ा है…
प्रेम की।

प्रेम, जो नदी की अनुमति लेकर
उस तक नहीं पहुँचा था

नहीं जानती थी नदी
प्रेम के मायने
कैसे  संभाले उसे....
कभी पास  बिठाती
कभी लिटा देती
जैसे कोई पेंटिंग बना रही हो।

पर पहाड़ के लिए प्रेम का कैनवास…
कोरा है
और नदी के लिए
मीठा भ्रम।
-----------------------
आरती