Friday, June 12, 2015

तुम्हारे-मेरे मन के बीच

दो समानांतर पटरियोँ के बीच का शोर 
वो अदृश्य रेल महसूसती है
जो हर क्षण रेँगती रहती है
तुम्हारे-मेरे मन के बीच
(आरती)

Monday, June 8, 2015

क्या होता है पिता होना

जो कल पीली होकर छूट जाएगी
उस नन्ही हथेली का स्पर्श
सिखा गयी
क्या होता है पिता होना
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आरती  

Sunday, June 7, 2015

भीगा प्रेमगीत

टूटने से पहले
वो भिखरी तो होगी

पतझड़ के किसी भूरे पत्ते की तरह
झरी भी होगी

किसी ने हथेली में न थामा होगा
उसका सिला चेहरा

पोंछी नहीं होंगी तसल्ली के लिहाफ से
उसकी धुंधलकी आँखें

मेज़पोश के नीचे दबी उसकी आह!
क्या सुनी होगी किसी ने

घर की  बरसाती पर
कोसा होगा उसने खूब
उस चाँद को.…

पिघलते गुस्से से भरी होंगी
कागज़ों की छाती

बारिश के पानी में छिपाए होंगे
पलकों पर टंगे समंदर

तितली के कानो में कही होगी
सबसे उदास कविता

पियानो की सफ़ेद- काली धारियों पर
बजाया होगा समय का सबसे भीगा प्रेमगीत
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 आरती

Wednesday, June 3, 2015

स्त्री

प्रेमिका के भीतर की
एक फांस है...
स्त्री
-आरती

Monday, June 1, 2015

प्रार्थना बनकर गिरना चाहती हूँ

कितनी ही नींदें जागी हूँ....
अब जाग कर सोनी है मुझे
कई-कई नींदें

पड़ना है तुम्हारे प्रेम में फ़िर-फ़िर
ताकि फ़िर-फ़िर ठुकरा दी जाऊं

प्रार्थना बनकर गिरना चाहती हूँ
ईश्वर के हाथों से
ताकि तय कर सकूँ अपनी टूटन की हदें

बेतरह चूमना चाहती हूँ येशु की हथेलियाँ
ताकि चख सकूँ पीड़ा

दांत से खींचकर निकाल देना चाहती हूँ
लहू से सनी कीलें
येशु और प्रेम की उन कोमल हथेलियों से
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आरती