Thursday, October 25, 2012


थम  जाते  हैं   कदम  मेरे ,
तेरी  यादों  के  मकान  पर ..
एक  दहलीज़  है  जो  मैं , लांघ  नहीं  पाती ..

Tuesday, October 23, 2012

Nishabd

मैं चुप थी,
तुम भी वहां मौन थे..
शायद अब शब्दों की ज़रूरत ख़त्म हो चुकी थी..