Tuesday, September 23, 2014

प्रेम

प्रेम
उसके इंतज़ार में भीग जाना
बारिश का सूखा रह जाना

प्रेम
उसे बेतरह याद करना
उसकी मीठी हिचकियाँ सुनना

प्रेम
उसकी अदृश्य हथेली पर अपनी हथेली रखना
तक़दीरों को घुलते देखना

प्रेम
उसकी अनकही कतरनें चुनना
बेतरतीब साँचे से वो ढाई अक्षर बुनना……
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आरती

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