तुम्हारी नज़र के धुँए मेँ
खो गया न मेरा अक्स
छूट गयी न मैँ तुमसे
जैसे रूठता है बचपन
टूट जाए बच्चे के हाथ से
उसका सबसे पसंदीदा खिलौना
ज़र्द हो जाए आसमान का माथा
भवोँ पर सिल जाए उदासी की सिलवट
गुम जाए ख़ुदा की आँखोँ से नूर
पांव तले रुल जाए आस कोई
ऐसे भी कोई किसी से
नज़रेँ फेरता है भला...
(आरती)
खो गया न मेरा अक्स
छूट गयी न मैँ तुमसे
जैसे रूठता है बचपन
टूट जाए बच्चे के हाथ से
उसका सबसे पसंदीदा खिलौना
ज़र्द हो जाए आसमान का माथा
भवोँ पर सिल जाए उदासी की सिलवट
गुम जाए ख़ुदा की आँखोँ से नूर
पांव तले रुल जाए आस कोई
ऐसे भी कोई किसी से
नज़रेँ फेरता है भला...
(आरती)