Saturday, September 27, 2014

अन्तर






















लड़की के रुमाल में बारिशें बंधी हैं,
लड़के के रुमाल में…दुआएँ।
(पेंटिंग : आरती)

Tuesday, September 23, 2014

चाँद तन्हा है

बुलंदियोँ के मचान पर चाँद...
तन्हा है।
(आरती)

अस्तित्व

समंदर सुनो !
जिस तरह मैं तुम्हारे अस्तित्व का हिस्सा हूँ
उसी तरह तुम भी मेरे वजूद में शामिल हो।
तुम्हारी नदी.…
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(आरती)

सुकून

मेरी प्रतीक्षा का चेहरा थे तुम कभी..
पर अब साँस लेते हो मुझमेँ सुकून बनकर।
-आरती

बेवजह

तुम्हे भुलाने की कोई वजह नहीँ थी मेरे पास..
इसीलिए बेवजह ही लौट आई हूँ।
- आरती

मन अनमना..

मन अनमना..
ख़ुद मेँ कितना कुछ जज़्ब करके रखते हैँ ना हम।
कभी-कभी जब भीड़ ज़्यादा हो तब अपने ही पांव ढूँढ़ना मुश्किल हो जाता है।
-आरती

बेअंत इश्क

तन्हाई दिखाई नहीँ देती
न सुनाई ही देती है..
वो तो चिपकी रहती है आपकी रूह से ताउम्र..
किसी बेअंत इश्क की मानिँद ।
(आरती)

परोँ-सी हल्की

एक बात बैठी है आँखोँ पर..
परोँ-सी हल्की
पढ़ सकते हो!
(आरती)

प्रेम

प्रेम
उसके इंतज़ार में भीग जाना
बारिश का सूखा रह जाना

प्रेम
उसे बेतरह याद करना
उसकी मीठी हिचकियाँ सुनना

प्रेम
उसकी अदृश्य हथेली पर अपनी हथेली रखना
तक़दीरों को घुलते देखना

प्रेम
उसकी अनकही कतरनें चुनना
बेतरतीब साँचे से वो ढाई अक्षर बुनना……
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आरती