Monday, August 4, 2014

यथार्थ का वार

काँच की शीशियाँ फ़ूटी हैं
भ्रम के नर्म हाथों पर
ज़ख्म गिरे हैं गहरे…
यथार्थ का वार शायद
इसी को कहते हैं।
----------------------
आरती

5 comments:

  1. फेसबुक पर घूमते हुए आपकी प्रोफाइल मिली और प्रोफाइल से आपके ब्लॉग का पता :)

    बहुत अच्छा लगा पढ़ कर ।

    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ !

    सादर

    ReplyDelete
  2. एक निवेदन
    कृपया अपने ब्लॉग पर follow option जोड़ लें इससे आपके पाठक भी बढ़ेंगे और उन्हें आपकी नयी पोस्ट तक आने मे सुविधा रहेगी।
    अधिक जानकारी के लिए कृपया निम्न वीडियो देखें-
    http://www.youtube.com/watch?v=ToN8Z7_aYgk

    सादर

    ReplyDelete
  3. वाह आरती जी।। बेहतरीन

    ReplyDelete
  4. सुन्दर शब्द संयोजन

    आभार...

    सादर

    ReplyDelete