Monday, October 19, 2015

स्मृतिशेष

कुछ न बचकर भी
कुछ तो बचता ही है
बैंगनी से कासनी होने की यात्रा है
स्मृतिशेष
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आरती 

Wednesday, October 14, 2015













जब तक दरवाज़े हैं
बची रहेगी संभावना
आवाजाही की
-आरती 

सूर्य की पहली किरण

मुझे सूर्य की पहली किरण बनकर 
छूना है तुम्हेँ
जिस तरह जन्म के बाद 
सबसे पहले माँ चूमती है
अपने शिशु का माथा
(आरती)

एक उम्मीद का टुकड़ा

यूँ तो मुन्तज़िर कुछ नहीँ
फ़कत एक उम्मीद का टुकड़ा है
जो बंधा रह गया है 
तेरे कहे आख़री हर्फ से
(आरती)

सबसे सुंदर ख़त

दुनिया के सबसे सुंदर ख़त वो थे
जो आँखोँ मेँ पढ़े गए
(आरती)

Sunday, October 4, 2015

टूटना एक स्वभाविक प्रक्रिया है

अबोलेपन की छैनी से तोड़ती रही मैँ
संवाद की सब संभावनायेँ
फ़िर भी बेशिकन रही वक़्त की पेशानी
और हौले से कहा
"टूटना एक स्वभाविक प्रक्रिया है"
(आरती)

Thursday, October 1, 2015

आंसू लिख देना

जब कभी कुछ न कह सको
तो बस..
आंसू लिख देना
(आरती)

एक नयी प्रेम कविता

तुम्हारी चुप्पी
हर क्षण बुदबुदाती है
मेरे कानोँ मेँ
एक नयी प्रेम कविता
(आरती)

शिक़ायत

दर्द को पल्कोँ से गिरने न देना
आँख शिक़ायत करेगी
-आरती