जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....
मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।
Sunday, December 11, 2016
अबोला
उसे बोलने से परहेज़ नहीं था
चाह बस इतनी भर थी
कोई अबोला भी सुन सके
(आरती)
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)