Tuesday, July 5, 2016

एक बादल पानी वाला

अमलतास के झूमर से टपक कर 
कुछ बूँदें बारिश की 
भर जाती हैं भीतर भी... 
गीले मन से झरते हैं पीताम्बरी फ़ूल
कोई नहीं देख पाता उनका गिरना 
पांव के पीछे एड़ी से चिपके अकेलेपन के ठीक पास 
बनता है एक बादल पानी वाला 
जो फूटता नहीं है भरता रहता है 
हर गुज़रती सांस के साथ...
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आरती