जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....
मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।
Wednesday, November 25, 2015
जब लौटना हो मुझ तक
उम्र की सड़क पर
तसल्ली भरी एक शाम ढूँढ लेना
जब-जब लौटना हो मुझ तक
ख़ुद को ढूँढ लेना
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आरती
Friday, November 13, 2015
कुछ दुखता है
वो आँखोँ मेँ हँसती है
क्या ख़ुशी बहुत है!
या कुछ दुखता है
अंदर ही अंदर
(आरती)
Monday, November 9, 2015
सफ़ेद गुड़हल
मुझे किसी वनकन्या के बालों में लगा
सफ़ेद गुड़हल होना था
उन्मुक्त, हवा में सांस लेता हुआ
क्यों मुझे किसी कवि की आँख का
स्वप्न बनाया
पथराया, कोर में अटका हुआ
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आरती
Monday, November 2, 2015
संजीवनी प्रेम की
गहरे नीले और स्याह रंग में
बस छटाँक भर का अंतर होता है
उस छटाँक भर में
जो कुछ अंश श्वेत का है
दरअसल वही संजीवनी है
प्रेम की...
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आरती
Sunday, November 1, 2015
Tumbhi Ehsaas Poetry Contest
http://writing.tumbhi.com/ehsaas-poetry-writing-contest-2015
तुम्हारा स्वर
तुम्हारा स्वर
जैसे राग मल्हार
शायद यही है
तुम्हे न सुनने की वजह
(आरती
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