जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....
मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।
Tuesday, January 3, 2017
आलाप
उसे कहना नहीं आया
वो महसूसती और लिखती।
वो पढ़ता, महसूसता और
चुप रहता।
मौन के इस आलाप में
शब्द अपनी ध्वनियाँ तलाशते रहते
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आरती
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