Friday, February 27, 2015

पहली और आख़री बार

मैं कभी नहीं सीख पायी
इंतज़ार को तोड़ने का मंत्र
इंतज़ार, जो तुम्हे मुझे दिया
पहला और आख़री तोहफ़ा है
प्रेम किसे कहते हैं
मैं नहीं जानती…
लेकिन तुम्हारे नाम के तीन अक्षर
मेरे लिए प्रेम की परिभाषा हैं
जानती हूँ …
तुम्हारी लकीरों में मेरा नाम नहीं
मेरे रंगों के पैलेट में
प्रीत का रंग नहीं
पर दो रंगों को मिलाकर मैं एक बार
वो रंग हो जाना चाहती हूँ
चाँद के सबसे करीब का
तारा हो जाना चाहती हूँ
एक पहली और आख़री बार
चूम लेना चाहती हूँ तुम्हारी हथेलियाँ
अपनी गीली पल्कों से....
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आरती

एक अलविदा कहने से पहले

एक अलविदा कहने से पहले..
मुझे तुम्हेँ लिखने हैँ हज़ारोँ प्रेम पत्र।
(आरती)

कभी टूटकर देखा है तुमने

चाँद,सुनो !
कभी टूटकर देखा है तुमने..
किसी की दुआ की ख़ातिर।
-तारा
(आरती)

लफ़्ज़ क़ैद हैँ हऴक मेँ

लफ़्ज़ क़ैद हैँ हऴक मेँ आज़ाद करो न
तुम यूँ भी तो जानां कभी बात करो न..
(आरती)

ये और बात है

तेरी यादोँ के साये मुसलसल मेरे ज़हन पर छाये रहते हैँ..
ये और बात है कि तेरे ख़्वाबोँ से वाबस्ता मैँ नहीँ।
(आरती)

रतजगी

रतजगी,
नीँद की उंगलियोँ मेँ उलझी बेचैनी।
(आरती)

तुम जब भी मुझ पर लिखो

तुम जब भी मुझ पर लिखो,
लफ़्ज़ोँ के सिरे काग़ज़ पर नहीँ रुह पर खुलेँ..
-आरती

Monday, February 16, 2015

Kahaani : Mukti

एक बात

बस..इतनी सी बात थी 
एक बात पर ठहरी रही
एक बात...
(आरती)

मन

मन,
गुलाबी पँखुड़ी मेँ भीँची
ज़िद है..
(आरती)