मन बिल्ली के पंजों से खुरची
गेंद की तरह लगता है कभी
जिसे खुद आपने बिल्ली को थमाया हो
ताकि सुन्न पड़ चुकी वो चीज़ खुरचन से फ़िर जी उठे
हम जैसे अपनी ही क़ैद में गुज़र करते हैं
जबकि ये सज़ा भी हम ही ने मुक़र्रर की है
ये क़ैद, प्रेम की क़ैद है
'प्रेम' कितना छोटा-सा शब्द है
उसकी पीठ उतनी ही लम्बी
हज़ार खरोंचें और एक सख़्त पीठ
पर जानते हो बस एक हल्का बोसा
बस एक हल्की थपकन काफ़ी है इसपर
फ़िर मुड़कर देख पाने के लिए...
--------------
आरती
गेंद की तरह लगता है कभी
जिसे खुद आपने बिल्ली को थमाया हो
ताकि सुन्न पड़ चुकी वो चीज़ खुरचन से फ़िर जी उठे
हम जैसे अपनी ही क़ैद में गुज़र करते हैं
जबकि ये सज़ा भी हम ही ने मुक़र्रर की है
ये क़ैद, प्रेम की क़ैद है
'प्रेम' कितना छोटा-सा शब्द है
उसकी पीठ उतनी ही लम्बी
हज़ार खरोंचें और एक सख़्त पीठ
पर जानते हो बस एक हल्का बोसा
बस एक हल्की थपकन काफ़ी है इसपर
फ़िर मुड़कर देख पाने के लिए...
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आरती