जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....
मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।
Friday, June 12, 2015
तुम्हारे-मेरे मन के बीच
दो समानांतर पटरियोँ के बीच का शोर
वो अदृश्य रेल महसूसती है
जो हर क्षण रेँगती रहती है
तुम्हारे-मेरे मन के बीच
(आरती)
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